उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हर जिले से आए ACHO एसोसिएशन ऑफ कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स अपनी माँगो को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे है। उन्होंने कहा कि आज पूरे उत्तर प्रदेश में 20 हजार से अधिक CHO का भविष्य खतरे में है। स्वास्थ्य सामुदायिक केंद्रों का बुरा हाल है हमारे CHO में महिलाएं है, जो अपने जनपद से बाहर जाकर सेवा दे रही है उनकी सुरक्षा की भी कोई गारन्टी नही है।आगे उन्होंने बताया कि सिर्फ और सिर्फ CHO ही अटेंडेंस मैनेजमेंट सिस्टम (AMS) पर लागू न होकर स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारी चाहे वो सरकारी नियमित कर्मचारी, संविदाकर्मी, आउटसोर्सिंग अधिकारियों पर भी लागू होना चाहिए।
भारत सरकार की गाईडलाइन के अनुसार CHO का कैडर निर्माण कर जो 6 वर्ष या उससे अधिक सेवा दे चुके हो उनको परमानेंट कर देना चाहिए। जिससे वो अच्छे से अपनी सेवा दे सके, परिवार व अपने भविष्य का निर्माण कर सके।आगे उन्होंने समान बेतन समान अधिकार की बातों को कहते हुए कहा कि CHO में भी समान बेतन का अधिकार हो जैसे अन्य राज्यों में है 25 हजार प्लस 15 हजार और पीबीआई को सैलरी में मर्ज होना चाहिये, मध्यप्रदेश, हरियाणा, बिहार, मेघालय, मणिपुर में NHM के CHO को 4800 ग्रेड पे अनुरूप वेतन का निर्धारण और महंगाई भत्ता प्रदान किया जा रहा है। CHO को भी EL और CL मिलना चाहिए जैसे अन्य सरकारी कर्मचारियों को 30 EL तथा 24 CL मिलता है वैसे ही मिलनी चाहिए CHO को स्वच्छिक स्थानांतरण की सुविधा मिले जिससे वो अपने गृह जनपद में जाकर पूरे मनोयोग के साथ अपने परिवार की जिम्मेदारी और पूरी ऊर्जा के साथ काम कर सके क्योंकि बहुत सारी महिलाएं दूर दराज जाकर अपनी सेवा दे रही पर सेक्युरिटी के नाम पर उनको न कोई सुविधा है, और न ही सुरक्षा मिलती है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की कही कही दिवाले तक टूटी है कही पर शराब की बोतले तक मिलती है, तो ऐसे में हमलोगों की सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी शासन और प्रशासन पर नही बनती है। क्या कि हम भी जरूरत के हिसाब से अपने गृह जनपद में आकर अपनी सेवा दे, और समान वेतन और समान अधिकार की मांग करते है। परन्तु शासन प्रशासन हमारी आवाज़ को दबाने की कोशिश कर रहा है पर हम लोग सही है तो डरने वालो में से और न ही दबने वालो में से है। अगर हमारी माँगो को पूरा नही किया गया तो आगे और उग्र रूप अपनाएंगे और हम सबका धरना ऐसे ही चलेगा अगर हमारी मांगो को यहाँ नही माना गया तो हमसब दिल्ली तक अपनी मांगों को लेकर जाया जायेगा और नही हुआ तो दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया जाएगा।