उत्तर प्रदेश से शर्मनाक करने वाली खबर सामने आई है। यहां बीच सड़क पर एक इंजनीनियरिंग की छात्रा ने खुद अपने कपड़े उतार दिए। पुलिस चौकी के सामने निर्लज्ज लोग छात्रा का वीडियो बनाते रहे, लेकिन किसी ने भी उसकी आबरू नहीं ढकी। दुष्कर्म पीड़ित इंजीनियरिंग छात्रा अब चिकित्सकों की निगरानी में है। आरोपी छात्र से पूछताछ की जा रही है। आगरा में मऊ रोड पर बदहवास हालत में मिली दुष्कर्म पीड़ित इंजीनियरिंग छात्रा मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में भर्ती है। छात्रा की ऐसी हालत कैसे हुई? यह सवाल ही बना हुआ है। वह बार-बार पुलिस से न्याय की गुहार लगा रही थी। मगर, पुलिस हर बार साक्ष्य संकलन करने का दावा कर उसे घर भेज दे रही थी। उसके परिजन नहीं आए हैं। वह चिकित्सक की निगरानी में है।
घटना के 15 दिन बाद पुलिस के पास आरोपी छात्र शिवांश पहुंचा है। वह अपनी बेगुनाही के सुबूत दिखा रहा है। उससे पूछताछ की जा रही है। लखनऊ की युवती विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग कर रही थी। 11 अगस्त को छात्रा ने थाना सिकंदरा में शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़िता ने आरोप लगाया कि कॉलेज का सीनियर छात्र शिवांश सिंह 10 अगस्त को कार में बैठाकर ले गया। चलती कार में दुष्कर्म किया। इसके बाद धमकी देकर छोड़ गया। शिवांश सिंह आईआईटी जम्मू से एमटेक कर रहा है। इस पर पुलिस ने साक्ष्य संकलन करना शुरू कर दिया।
उधर, पीड़िता थाने और चौकी के चक्कर काट रही थी। अपने केस में कार्रवाई की गुहार लगा रही थी। रविवार को छात्रा दयालबाग चौकी पर पहुंची थी। हंगामा किया था। इसके बाद मऊ रोड पर खुद ही कपड़े उतार दिए थे। दो युवतियों ने उसे पकड़कर कपड़े पहनाए थे। इसके बाद पुलिस उसे मानसिक स्वास्थ्य संस्थान ले गई थी।
अब ये घटना सवाल उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली पर एक बहुत बड़ा सवाल उठा रही है। एक ओर योगी आदित्यनाथ अपने त्वरित कार्यवाही की सूचि जारी करते रहते हैं तो वहीं दूसरी ओर ये आलम है कि पुलिस कि ढीली कार्यवाही से क्षुब्ध पीड़ित खुद परेशां होकर इस तरह के कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं। अभी कुछ दिन पूर्व एक महिला ने पुलिस की कार्यशैली से तंग आकर मुख्य मंत्री आवास के सामने आत्मदाह करने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।