फर्रुखाबाद में भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी के पर्व पर बाजारों में खूब बिक्री हुई, लड्डू गोपाल की ड्रेस और उनके श्रृंगार का सामान दुकानों पर सजा हुआ है और श्रद्धालु ठाकुर जी के लिए सामान की खरीदारी करते नजर आये । इस बार जन्माष्टमी के पर्व को लेकर भक्तों में बहुत उत्साह है।
फर्रुखाबाद शहर के बाजार में भगवान श्री कृष्ण के झूले, सिंहासन, श्रृंगार का सामान व पोशाकें दुकानदारों द्वारा बेची जा रही है । दुकानों पर लड्डू गोपाल, भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजाते हुए, माखन खाते हुए कान्हा, मोर पंख धारण किए कान्हा, श्री राधा कृष्ण व अन्य मूर्तियां बाजार में भक्तजन जमकर खरीद रहे हैं। भगवान श्री कृष्ण और राधा की पोशाक 100 से लेकर 500 रुपये तक में बिक रही हैं, तो वहीं आकर्षक झूले 200 रुपये से लेकर 2000 रुपये तक के बिक रहे हैं। ड्रेस विक्रेता गोविंद सक्सेना ने कहा कि लोगों में जन्माष्टमी मनाने को लेकर उत्साह है। श्री कृष्ण भगवान की पोशाक खरीदने को लेकर भी बच्चों में काफी उत्साह है।
जन्माष्टमी पर इस दिन भगवान श्री कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है । व्रत का खास महत्व होता है । कहा जाता है कि जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में होता है, उनके लिए ये व्रत बहुत लाभकारी होता है । इतना ही नहीं अविवाहित लड़कियों के लिए भी इस व्रत का खास महत्व है । अगर उनके विवाह में कोई अड़चन आ रही हो तो वे भी लड्डू गोपाल के लिए व्रत रखकर झूला झुलाती हैं और विधिवत पूजा अर्चना करती हैं । इससे उनके विवाह का संयोग जल्दी बन जाता है।
शुभ मुहूर्त और पूजा विधि- भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व इस बार सोमवार को मनाया जाएगा। आचार्यों ने बताया की वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 25 अगस्त, 2024 दिन रविवार को रात 3 बजकर 39 मिनट पर होगी। वहीं, इसका समापन 26 अगस्त, 2024 दिन सोमवार को रात 2 बजकर 19 मिनट पर होगा। ऐसे में जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जाएगी।
पूजा मुहूर्त – श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त मध्यरात्रि 12 बजे से 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।
पूजा विधि- ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और भक्तिपूर्वक कठोर व्रत रखने का संकल्प लें। पूजा की शुरुआत से पहले घर और मंदिर को साफ करें। लड्डू गोपाल जी का पंचामृत व गंगाजल से अभिषेक करें। फिर उन्हें नए सुंदर वस्त्र, मुकुट, मोर पंख और बांसुरी आदि से सजाएं। पीले चंदन का तिलक लगाएं। माखम-मिश्री, पंजीरी, पंचामृत, ऋतु फल और मिठाई आदि चीजों का भोग लगाएं । कान्हा के वैदिक मंत्रों का जाप पूरे दिन मन ही मन करें । आरती से पूजा का समापन करें । अंत में शंखनाद करें । इसके बाद प्रसाद का वितरण करें । अगले दिन प्रसाद से अपने व्रत का पाणन करें। और पूजा में हुई गलतियों के लिए क्षमा मांगे।
श्रीकृष्ण पूजन मंत्र
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरेहरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे, ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम: