कोलकाता रेप मामले में फोरेंसिक विशेषज्ञ का दवा ‘कोई अकेला नहीं DE सकता है इतनी चोटें’

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में जूनियर डॉक्टर से दरिंदगी के मामले की जांच कर रही सीबीआई का ध्यान इस बात पर है कि बिना किसी बाधा के सेमिनार हॉल में अपराध को कैसे अंजाम दिया गया। एक अधिकारी ने कहा कि हॉल के दरवाजे में लगी सिटकनी भी टूटी मिली थी। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के 13 दिन बीत गए। लेकिन कई सवाल हैं, जिनका जवाब आज तक नहीं मिले हैं। फोरेंसिक विशेषज्ञ डॉ. अरिंदम चक्रवर्ती ने दवा किया है कि चोटों के इतने निशान अगर पीड़िता के शरीर पर हैं तो यह तय है कि हमलावर एक नहीं था। डॉ. अरिंदम कहते हैं, यह आश्चर्य की बात है कि उस रात किसी ने युवा लड़की की आवाज नहीं सुनी, जबकि उसने आरोपियों का मजबूती से मुकाबला किया होगा। इन्हीं बातों से लगता है कि वारदात में अन्य लोग भी रहे होंगे।

अस्पताल व प्रशासन पर आरोप लगते हुए डॉ. अरिंदम ने कहा कि,जैसे ही इस घटना की जानकारी मिली, तुरंत अथॉरिटी को उस जगह की घेराबंदी करनी होती है, ताकि सबूतों से छेड़छाड़ न हो। उसके बाद केवल पुलिस, फोरेंसिक टीम के अलावा किसी और को जाने नहीं देना चाहिए। लेकिन अस्पताल में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ घटना की सूचना मिलने के बाद भी वहां लापरवाही बरती गयी, जिससे यह प्रतीत होता है कि इस मामले में सबूत मिटने कि कोशिश की गयी। अभी इसकी लंबी प्रक्रिया है। इसिलए जो सैंपल वहां पर मिले हैं, उनको मैचिंग करना है। अगर हम जितनी देरी करेंगे, सबूतों के नष्ट होने की संभावना बनी रहती है। उन्होंने कहा, मेरी मांग है कि जल्द से जल्द जांच को खत्म करना चाहिए। सीबीआई जांच में अभी तक तो किसी और को पकड़ा नहीं है। जिसे पकड़ा है, हमें नहीं पता है कि मैचिंग किया कि नहीं। उन्होंने कहा, सीबीआई जांच कर रही है।

डॉ अरिंदम का कहना है पहली बार ऐसा मामला सुना देखा। अस्पताल में रात के समय में ज्यादा आदमी नहीं होते। रात को ज्यादा आना-जाना नहीं होता। जो लोग काम करते हैं, उसके अलावा वहां मरीजों के परिजन आते-जाते हैं। कोई बाहर से आया। दुष्कर्म किया और फिर चला गए। कैसे हुआ। यह देखकर मैं खुद आश्चर्यचकित हूं। डॉ अरिंदम ने कहा, ड्यूटी बदलते समय अगर डॉक्टर नहीं मिलीं तो निश्चित ही खोजबीन होनी चाहिए थी। अगर नहीं हुई तो क्यों नहीं हुई। विभाग के लोगों से पूछताछ करनी होगी। क्यों ऐसा हुआ। यह तो पता लगाना चाहिए था कि जूनियर डॉक्टर नहीं तो कहां है। क्या हुआ और क्यों नहीं हुआ, यह जांच का विषय है।

 

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