देश आज 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं। पीएम ने गुरुवार को ध्वजारोहण किया और लाल किले से राष्ट्र के नाम अपना लगातार 11वां भाषण दिया। इस साल के उत्सव का विषय, ‘विकसित भारत@2047’ है, जिसका लक्ष्य देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में आगे बढ़ाना है। आइए पीएम मोदी के राजघाट से लेकर लाल किले और फिर उसके बाद उनके दमदार संबोधन तक की सारी बातें जानते हैं।
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 11वीं बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले की प्राचीर से 2047 में विकसित भारत के सपने का खाका पेश किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते एक दशक में कई ऐसे सुधार किए गए हैं, जिनका असर अब दिखने लगा है और पूरी दुनिया में भारत की छवि सुधरी है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में यूनिफॉर्म सिविल कोड, बांग्लादेश के हालात, बुनियादी ढांचे के विकास, सामान्य मानविकी की समस्याओं के निदान, निवेश आदि मुद्दों पर अपने विचार रखे। इस दौरान प्रधानमंत्री ने लोगों को आगाह करते हुए ये भी कहा कि कुछ लोग देश को निराशा के गर्त में डुबोना चाहते हैं, लेकिन हमें उनसे सावधान रहना होगा।
लाल किला पहुंचने से पहले पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजघाट पहुंचे। जहाँ उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया। राजघाट के बाद, 78वें स्वतंत्रता दिवस के जश्न के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किला पहुंचे। लाल किले पर समारोह की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी के वरिष्ठ सरकारी और सैन्य अधिकारियों द्वारा अगवानी के साथ हुई। वहीं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी देश के 78वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के लिए लाल किला पहुंचे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाल किला पहुंचने के बाद गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया गया। इसका समन्वय इस वर्ष भारतीय नौसेना की तरफ से किया गया।
प्रधानमंत्री मोदी जब झंडा फहराने के लिए प्राचीर की तरफ बढ़े, तब स्वदेशी 105 एमएम लाइट फील्ड गन से जवानों ने 21 तोपों की सलामी दी। 78वें स्वतंत्रता दिवस के समारोह में करीब 6000 खास मेहमानों को आमंत्रित किया गया था। लाल किले में प्रवेश करते समय पीएम मोदी ने छात्रों से मुलाकात भी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 78वें स्वतंत्रता दिवस पर गुरुवार को लालकिले पर तिरंगा फहराया। पंडित नेहरू (17 बार) और इंदिरा गांधी (16 बार) के बाद सबसे ज्यादा 11 बार झंडा फहराने वाले तीसरे पीएम हैं।
ध्वजारोहण के बाद पीएम मोदी ने देश को लाल किले के प्राचीर से लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आज शुभ घड़ी है। देश के लिए मर मिटने वाले और अपना जीव समर्पित करने वाले और आजीवन संघर्ष करने वाले जवानों को नमन करने का पर्व है। इस मौके पर पीएम मोदी लोगों और बच्चों से मिलते नजर आए। पीएम ने इस बार नारंगी, पीले और हरे रंग के कॉम्बिनेशन की पगड़ी पहनी। 2014 में पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद स्वतंत्रता दिवस पर उन्होंने राजस्थानी पगड़ी ही पहनी थी। लहरिया प्रिंट की कहानी राजस्थान की रेत से जुड़ी हुई है। राजस्थान के पश्चिमी इलाकों के रेगिस्तानी रेत पर बहने वाली हवा से डायगोनल पैटर्न (लहर) बन जाते हैं। लहरिया प्रिंट इन्हीं पैटर्न से प्रेरित माना जाता है। यह एक पारंपरिक कपड़ा टाई एंड डाई प्रिंट टेक्नीक है, जिसमें खूबसूरत रंगों का कॉम्बिनेशन होता है।
पीएम मोदी ने कहा कि देश में महिलाओं के साथ बर्बरता हो रही है, उन पर अत्याचार हो रहे हैं। राज्य सरकारों से, शासन-प्रशासन से अपील करता हूं कि वो ऐसे उदाहरण पेश करें कि कोई किसी महिला के साथ ऐसा करने की हिमाकत नहीं कर सके।
देश आज 78वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार 11वीं बार लाल किले की प्राचीर से ध्वजारोहण किया। वहीं, पीएम मोदी ने अपने संबोधन में इशारों में बंगाल की घटना को लेकर गुस्सा जताया। उन्होंने महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध को भी उठाया। पीएम ने कहा कि महिलाओं के प्रति अपराधों की तुरंत जांच हो। कृत्य करने वालों को सख्त से सख्त सजा हो। गौरतलब है, हाल ही में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। इस मामले पर लगातार विवाद गहराता जा रहा है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर और छात्र सड़क पर उतरकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘महिलाओं के प्रति अपराधों की तुरंत जांच हो। कृत्य करने वालों को ज्यादा से ज्यादा, सख्त से सख्त और जल्दी से जल्दी सजा हो। जब ऐसी राक्षसी मनोवृत्ति को सजा होती है तो वह नजर नहीं आती कोने में कहीं पड़ी रहती है। ऐसे राक्षसी कृत्य करने वालों को होने वाली सजाओं के बारे में खबरें अब सामने आना जरूरी है, ताकि लोगों को पता चले कि ऐसे कृत्यों का क्या परिणाम होता है।’
उन्होंने कहा, ‘महिलाओं का हम दमखम देख रहे हैं। लेकिन दूसरी तरफ कुछ चिंता की बातें भी आती हैं और आज मैं लाल किले से एक पीड़ा व्यक्त करना चाहता हूं। एक समाज के नाते हमें गंभीरता से सोचना होगा। हमारी माताओं-बहनों, बेटियों के प्रति अत्याचार हो रहे हैं। उसके प्रति देश का आक्रोश है, जनसामान्य का आक्रोश है। इस आक्रोश को मैं महसूस कर रहा हूं। इसे देश को, समाज को, हमारी राज्य सरकारों को गंभीरता से लेना होगा।’
पीएम ने कहा कि महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की जल्द से जल्द जांच हो। राक्षसी कृत्य करने वालों को जल्द से जल्द कड़ी सजा हो। वो समाज में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है। जब महिलाओं पर दुष्कर्म जैसे अत्याचार की घटनाएं घटती हैं तो उसकी बहुत चर्चा होती है, बहुत प्रचार होता है, मीडिया में छाया रहता है। लेकिन जब ऐसे विकृत मनोवृत्ति के व्यक्ति को सजा होती है तो खबरों में नजर नहीं आती है, कोने में कहीं पड़ा होता है।
उन्होंने कहा, ‘अब समय की मांग है कि जिनको सजा होती है, उसकी व्यापक चर्चा हो ताकि ऐसा पाप करने वालों में डर पैदा हो कि पाप करने वालों की ऐसी हालत होती है, फांसी पर लटकना पड़ता है। मुझे लगता है कि डर पैदा करना बहुत जरूरी है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘देश में महिलाओं के साथ बर्बरता हो रही है, उन पर अत्याचार हो रहे हैं। राज्य सरकारों से, शासन-प्रशासन से अपील करता हूं कि वो ऐसे उदाहरण पेश करें कि कोई किसी महिला के साथ ऐसा करने की हिमाकत नहीं कर सके। दुष्कर्म जैसा पाप करने वाले को फांसी की सजा हो ताकि कोई ऐसा करने की सोचे तो उसे पता हो कि जीवन से हाथ धोना होगा।’