सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में कांवर यात्रा के मार्ग पर होटल ढाबा और खान – पान कि दुकानों पर नाम लिखने के योगी सरकार के फैसले पर आंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट में एमपी और उत्तराखंड को भी नोटिस जारी किया है शुक्रवार को इस मामले में अगली सुनवाई होगी तबतक किसी भी राज्य में दूकानदारों को अपना या स्टाफ का नाम लिखने कि आवश्यकता नहीं होगी। सूत्रों के अनुसार जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस एसविएन भट्टी ने कहा कि कांवरियों को शाकाहारी भोजन मिले इसके लिए फूल सेफ्टी कानून के तहत सक्षम अधिकारी आदेश जारी कर सकता है तथा पुलिस खाद्य संरक्षण विभाग के अधिकार में गैर कानूनी दख़ल नहीं दे सकता याचिका दाखिल करने वालों ने इसे संविधान के आर्टिकल 14,15,17 और 19 (A) (ग) का उल्लंघन बताया इन अनुच्छेदों के जरिए धर्म, जाति एवं नस्ल के आधार पर भेदभाव – छुआछूत को गैर कानूनी बताया गया तथा कोई भी व्यापार करने कि संविधान आजादी मिली हुई है। एक एनजीओ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राईट्स, TMC सांसद महुवा मोइत्रा और एक्टिविस्ट अपूर्वानन्द सहित आकार पटेल कि तीन अलग – अलग याचिकाओं पर इन राज्यों को नोटिस जारी किया है और कहा है कि ऐसे किसी दूसरे राज्य को भी शामिल किया जा सकता है।
वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कही ये बात
वही महुआ मोइत्रा की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा की इसमें विक्रेताओं को बड़े बोर्ड की जरूरत है. जिसमें सारी जानकारी साझा करनी होगी. अगर शुद्ध शाकाहारी होता तो बात समझ आती. कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार ने इस बारे में कोई औपचारिक आदेश पास किया है?
जज ने साझा किया खुद का अनुभव
सिंघवी ने कहा सरकार अप्रत्यक्ष रूप से इसे लागू रही है, पुलिस विभाग ऐसे निर्देश जारी कर रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस भट्टी ने सुनवाई के दौरान कहा कि मेरा भी अपना अनुभव है केरल में एक शाकाहारी होटल था जो हिंदू का था दूसरा मुस्लिम का था मैं मुस्लिम वाले शाकाहारी होटल में जाता था क्योंकि उसका मालिक दुबई से आया था और वह साफ.सफाई के मामले में इंटरनेशनल स्टैंडर्ड फॉलो करता था।
वहीं सपा प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने कांवड यात्रा के रास्ते पर दुकानदारों का नाम लिखने पर अंतरिम रोक लगाई। भाजपा की सरकार नफ़रत नकारात्मक राजनीति करने के लिये संविधान के विरुद्ध काम कर रही है। उच्चतम न्यायालय का आभार।
फैजाबाद से सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि यूपी सरकार का आदेश समाज को तोड़ने वाला था। हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं।
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा, हमें पूरी तरह से अवैध और असंवैधानिक कांवड़ यात्रा आदेश पर रोक की जानकारी मिली है। इसे यूपी ने शुरू किया था और फिर उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में इसे लागू किया गया। इससे धार्मिक भेदभाव हो रहा था और हमने इसके खिलाफ याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर पूरी तरह से रोक लगा दी है और सभी निर्देशों पर रोक लगा दी है। यह संविधान और भारत के लोगों की बड़ी जीत है।