मेदांता के डॉक्टरों ने किया कमाल, पूर्वी यूपी की सबसे छोटी नवजात ने कैसे जीती जिंदगी की जंग

लखनऊ। मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ के डॉक्टरों ने एक बार फिर नया कमाल करके दिखाया है। 25 हफ्ते की गर्भवती का समय से पहले प्रसव कराया बल्कि मां और बच्ची की जान भी बचाने में कामयाबी हासिल की है। डेवलपमेंट सेंटर के डायरेक्टर डॉ आकाश पंडिता ने बताया कि पूर्वी यूपी की रहने वाली एक महिला के लिए पिछली सर्दियां बेहद मुश्किल भरी रही। 25 हफ्ते की गर्भवती महिला को समय से पहले प्रसव के लिए अस्पताल ढूंढने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। उनके पेट से रिसाव हो रहा था। जिसके कारण भ्रूण को खतरा था और संक्रमण का भी जोखिम बढ़ गया था। बेहतर इलाज की उम्मीद में उन्होंने अपने घर सुल्तानपुर से लखनऊ जाने का फैसला किया।

काफी जटिल भरा रहा ट्रीटमेंट

डॉ आकाश पंडिता ने बताया कि लखनऊ पहुंचने पर भी उन्हें कई अस्पतालों ने प्रसव के लिए मना कर दिया गया क्योंकि वहां डॉक्टरों का मानना था कि इतनी जल्दी जन्मने वाले बच्चे के जीवित रहने की संभावना बेहद कम होती है। वह 25 सप्ताह की गर्भावस्था में मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ पहुंची।

उन्होंने बताया कि 25 सप्ताह के अल्पकालिक गर्भावस्था में जन्म लेने के कारण उसके अंग पूरी तरह से विकसित नहीं हुए थे। उसे दो महीने से अधिक समय तक नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट में भर्ती रहना पड़ा। अब जन्म के छह महीने बाद नियमित जांच और देखभाल के साथ वह एक खुश मिजाज और स्वस्थ बच्ची है जिसका विकास सामान्य रूप में हो रहा है।

क्या कहना डॉ आकाश पंडिता का

डेवलपमेंट सेंटर के डायरेक्टर डॉ आकाश पंडिता ने बताया कि जन्म के समय बच्ची को सांस लेने में तकलीफ और शॉक के लक्षण थे। जिसके कारण उसे तुरंत एनआईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। जन्म के समय उसका वजन एक पानी की बोतल से भी कम था और उसके अंगों का विकास पूरी तरह से नहीं हुआ था। बच्ची को लेस इनवेसिव सरफैक्टेंट एडमिनिस्ट्रेशन नामक तकनीक के माध्यम से सर्फेक्टेंट दिया गया। जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाए बिना ऑक्सीजन प्रदान करने का सबसे कारगर तरीका है।

इलाज के बाद बच्ची अब स्वस्थ्य है

डॉ आकाश ने बताया कि बच्ची को गंभीर रक्त संक्रमण भी हुआ था जिसका इलाज किया गया। धीरे-धीरे,बच्ची को कंगारू मदर केयर और ट्यूब फीडिंग दी गई। जब तक वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो गई और सामान्य भोजन ग्रहण करने में सक्षम नहीं हो गई, तब तक उसे टोटल पैरेंटरल न्यूट्रिशन नामक तकनीक के माध्यम से पोषक तत्व दिए गए, जिसमें पोषक तत्वों का मिश्रण सीधे नसों के माध्यम से डाला जाता है। फिलहाल इलाज के बाद बच्ची अब स्वस्थ्य है।

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